मेरी गाण्ड भी मारी और ... सेक्स कहानियां - Malayalam sex stories

मेरी गाण्ड भी मारी और ... सेक्स कहानियां

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[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]वह गांडू इस कदर मेरी गांड मार रहा था जैसे कितने साल से भूखा था, मगर उसका पानी नहीं छुट रहा था। करीब बीस मिनट से मैं उससे चुद रहा था और फिर उसने मेरी गांड में पूरा पानी छोड़ दिया।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]तभी दरवाज़ा खुला, मैं और वो एकदम चौंक गए क्योंकि दरवाज़े पर एक मस्त औरत खड़ी थी और हमारा खेल देख रही थी।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- आपको क्या लेना-देना ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उसने कहा- मुझे आपका लेना है और आप दोनों को सेक्स का आनंद देना है ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]हमारे यू पी वाले ने कहा- मैडम ! मैं तो इसकी गांड मारूंगा ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]इतना कहते हुए उसने मेरी गांड सहलाना शुरू किया और गांड को मस्त तरीके से चूमने लगा। मैं सिसकियाँ भरने लगा। अब मैं भी तड़पने लगा उसके लौड़े को दोबारा अंदर घुसवाने को ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]अब मै भी गांड मास्टर बन चुका था। वह तो मास्टर था इस विषय में ! उसने बड़े प्यार से मेरे गाल पर चुम्मी ली और मेरी गांड को चूम लिया और वो औरत बड़ी बेताब हो रही थी। वो भी क्या मस्त थी ! उसने स्लैक टाईप आसमानी रंग की चूड़ीदार और ऊपर कसी कमीज़ पहनी थी।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उसने कहा- मैं क्या देखती रहूँ ?[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- क्यों, आप नहीं चाहती कि मेरी गांड मारी जाये ?[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उस पर उसने कहा- तो क्या मैं देखती रहूँ ?[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उसने आव ना देखा ताव ! तपाक से मेरे पास आई। मैं तो घोड़े की मुद्रा में था और वह भाईसाब तो बड़े मूड में थे, वो कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते थे, उनका ध्यान उस औरत पर जा ही नहीं रहा था, वो तो बस गांड मिली- सब मिला, इस ख़ुशी में था।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उस पर उस औरत ने बड़ी चालाकी से अपनी कमीज़ उतार दी और मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल दी और मुझे इस कदर उकसाया कि मैं तो दोनों तरह के मज़े लेने को तड़पने लगा। मैंने उस औरत को कहा- मैडम पहले इस साहब से मेरी गांड मरेगी, फिर मैं आपको भी चोदूँगा ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]और उस भाई साब ने बड़े स्टाईल से मुझे अपने गोद में बिठा लिया, कहा- तुम घोड़ा मत बनो, मेरे लवडे पर बैठो और धीरे धीरे चुदवाओ ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने आहिस्ता से अपनी गांड में उसका लौड़ा घुसवा लिया। अब तो सीधे घुस गया- आ हा हा ! क्या सकून मिला ! अब तो बस मज़े ही मज़े ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मगर उस औरत से रहा ना गया, उसने मुझे अपने मस्त स्तन हाथों से दबाने के लिए कहा। मैंने तो बड़ी फुर्ती से उसके स्तन दबाने चालू किये। फिर उसने बड़ी तेजी से अपनी ब्रा खोल दी और दो गेंद खुल कर मेरे हाथों में आ गए।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]इधर भइयाजी ने तेजी से ऊपर-नीचे होना चालू कर दिया। मैंने उसको कहा- तेजी बढ़ाओ ! मुझे बहुत मज़ा आएगा ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]और सही कँहू, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, पीछे से गांड मारी जा रही थी और आगे दो गेंद मेरे हाथ में थे। गांड बड़ी मस्त मारी भइयाजी ने ! चाहता था दो लौड़े एक साथ मेरी गांड मारें पर वहाँ पर तो एक ही लौड़ा था। भैयाजी से रहा नहीं जा रहा था, वो बड़े बेताब थे दूसरी बार गांड मरवाने के लिए ! पर उनका कर्जत स्टेशन पर उतरना हुआ, उतरते के वक्त उसने मेरे हाथ में एक लिफाफा दिया। मैंने पूछा- क्या है ?[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]कहा- मेरा कांटेक्ट नम्बर है, कभी याद आये तो फोन कर लेना ! पूरे दिन भर के लिए हम गांड मारने और मरवाने का प्रोग्राम रखेंगे, कुछ और भी लोग हमारे साथ जुड़ेंगे, बड़ा मजा आएगा ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]ट्रेन छुटी तो मुझे जुदाई जैसा लगा। मैं अपनी सीट पर आकर बैठ गया और लिफाफा खोल कर देखने लगा तो अंदर उसका कार्ड था और १००० रुपये का एक नोट था। मैंने नोट अपनी जेब में रख लिया।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने उसका नाम पढ़ा उसका नाम था रमण सिन्हा और वह नासिक का रहने वाला था। मैं सोच में था कि क्या वह मुझे दोबारा मिल पायेगा ?[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]यह देखकर उस औरत ने कहा- अरे मैं क्या ऊँगली डलवाने बैठी हूँ ? चलो आ जाओ ! वो अब चला गया ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]कहते हुए वो मेरी गोद में बैठ गई। स्लैक्स में से उसकी गांड बड़ी शरारती लग रही थी, उसने कहा- मेरा नाम सीमा है ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]और पूछा- तुम्हारा नाम क्या है?[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- मंगू जी ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उस पर वो औरत बोली- मेरे पति का बड़ा कारोबार है, पर बड़ा चोदू भी है। रविवार के दिन छुट्टी होती है, तब कहीं नहीं जाता और घर में हम उस दिन पूरी तरह नंगे ही होते हैं। कभी कभार उसके दोस्त भी अपनी बीवियों को लेकर आते है और फिर ग्रुप में चुदाई होती है, बड़ा मजा आता है। तुम्हें भी बुलाऊंगी, फिलहाल तो मेरे साथ चोदम-चोदी करो, फिर पता चलेगा।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- ऐसी भाषा से आपको शर्म नहीं आती ?[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]तो उस पर सीमा ने कहा- ऐसी भाषा से मुझे चुदवाने के लिए जोश आता है। मैं तुम्हें गाली दूंगी और तुम भी मुझे उसी तरह जवाब दो ! चलो, अब भड़वे की तरह मस्त तरीके से मेरी स्लेक्स निकालो और मेरी गांड दबाओ ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]पहले मैंने उसकी स्लेक्स निकाली, अंदर उसने मस्त हलकी नीली चड्डी पहनी थी, उसे भी मैंने तुरंत निकाल दिया, उसकी गांड पर हाथ फेरा और आहिस्ता से मुँह में एक चुचूक दबा लिया। उस पर वो सिसकियाँ लेने लगी।उसने तेजी से मेरा तना हुआ लौड़ा पकड़ लिया और कहा- यह अब सिर्फ मेरा है, अब इससे मैं चुदुंगी और बस मेरी ही गांड मरेगी ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- हाँ भाई हाँ ! अब तुम्हारा ही राज है ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]वो और शरारती हो गई, उसने मेरा लौड़ा लेकर अपनी छाती पर मलना शुरू किया। बड़े कड़क थे उसके गेंद और उनमें फंस गया मेरा लौड़ा। इतने में ट्रेन रुक गई और बाहर किसी की आवाज़ आई। ट्रेन दो घंटे लेट होगी।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]यह सुन कर सीमा और खुश हुई, कहने लगी- मंगूजी ! कुदरत साथ दे रही है ! चलो, अब चैन ही चैन ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- हाँ मेरी रांड ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]तो उसने खुश होकर कहा- तो फिर चल भड़वे ! अब मत रुक ! कहकर उसने मुझे चूसने के लिए एक गोली दी और कहा- इससे बड़ी देर तक पानी नहीं छूटेगा ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने उसे 69 की अवस्था में आने कहा और उसने ऊपर चढ़कर मेरा लौड़ा मुँह में लिया और उसका भोंसड़ा मेरे मुँह में आया। पूरी तरह से हम एक दूसरे का लौड़ा-भोंसड़ा चूस रहे थे। फिर उसने खड़े होकर कहा- मंगूजी ! मुझे खड़े होकर चाटो ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]काफ़ी देर बाद सीमा ने मुँह फेर लिया और गाण्ड में डालने के लिए कहा। मैंने एक ही पल में डालने के लिए सोचा। मगर उसकी गांड इतनी बार चुदवाने के बाद भी कसी हुई थी। फिर भी बड़ी फुर्ती से मैंने गांड में डाल दिया और उसके मुँह से निकला- अबे भड़वे ! कितना कड़क लौड़ा पाया है ! आहिस्ता से डाल ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने उसकी एक न सुनी, मैंने तो डाल दिया और वो अब अह हु हु हु हु करने लगी और मुझ पर अब सेक्स का बुखार चढ़ गया जो भैयाजी ने जगाया था।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]दस मिनट में मैंने पोज़ बदला और उसे उलटे मुँह लौड़े पर बिठाया और भोंसड़े में लेने कहा और उसे धीमे धीमे ऊपर-नीचे होने को कहा। वो बड़ी खुशी से चुदवा रही थी। इस पोज़ से मन भर जाने के बाद अब मैंने उसे बर्थ पे लिटा दिया और एक ही शॉट में लौड़ा पूरा घुसेड़ दिया और लगातार उसे चोदा पर पानी नहीं छूट रहा था।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]इस पर सीमा ने कहा- गोली थूक दो तो तुम्हारा लौड़ा भी मेरे भोंसड़े में थूकेगा ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने गोली थूक दी और तुरंत पानी छूटने को हुआ। उसने कहा- मंगूजी ! बाहर एक बूँद भी मत गिरने देना ! सारा पानी मेरा है ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने पूरा पानी उसके भोंसड़े में डाल दिया। अब पुणे स्टेशन भी नजदीक आ रहा था और सीमा का भोंसड़ा अभी मेरे लौड़े की चाहत कर रहा था।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- सीमा पुणे में हो तो जरूर मिलेंगे, फिलहाल हमें जुदा होना चाहिए ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने अपने कपड़े पहन लिए और सामान तैयार किया और उसे पहले चड्डी और ब्रा अपने हाथों से पहनाई और बाकी कपड़े पहन लिए। स्टेशन आते हमने देखा कि पूरा डिब्बा खाली ही था। उतरते ही सीमा ने मेरे हाथ में दो हज़ार रुपये दिए और अपना कार्ड दिया, कहा- मुझे मुम्बई में जरूर मिलना ! मेरे पति को साथ रखकर चोदने का प्रोग्राम रखेंगे और तुम्हारी गांड भी मारने के लिए बंदोबस्त करूंगी।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- पुणे में कहाँ मिलोगी?[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]तो कहा- नहीं, यहाँ नहीं ! क्योंकि यहाँ मैं किसी दूसरे के यहाँ आई हूँ। तुम मुम्बई में ही मिलना ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]वो रिक्शा में बैठने के लिए जा रही थी, पीछे से उसकी गांड बड़ी मस्त तरीके से मटक रही थी। मैं मन ही मन सोच रहा था- क्या मैंने इसे ही चोदा था ?[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उसने पलट कर देखा, टाटा किया और चली गई।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]पर दोस्तो, अफ़सोस ! वो दोनों कार्ड कहीं कपड़ों के साथ धुल गए। अब मैं अपने आपको कोसता हूँ। आप ऐसी गलती कभी मत करना ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]आप अपने विचार जरूर बताना ![/font]
 
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