दिल्ली से आगरा सेक्स कहानियां - Malayalam sex stories

दिल्ली से आगरा सेक्स कहानियां

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[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मेरा नाम निलेश है, मैं मुंबई में रहता हूँ और मार्केटिंग का काम होने की वजह से मैं हमेशा घूमता रहता हूँ।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]सर्दियों के दिन थे, मैं काम से दिल्ली गया था और वहाँ काम पूरा होते ही मुझे तुंरत आगरा जाना पड़ा।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]दोस्तो, कहानी अब शुरु होती है।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैं दिल्ली के सराय काले खां बस स्टैंड पहुँचा, रात के करीब साढ़े दस का समय था। सर्दियों की वजह से सन्नाटा छाया था। दिल्ली से आगरा जाने वाली बस में मैं बीच वाली सीट पर जाकर बैठ गया। बस पूरी खाली पड़ी थी। थोड़ी देर में दो चार लोग आगे आकर बैठ गए। थोड़ी देर में बस निकली, तभी एक महिला बस में चढ़ी, उसने बस में नज़र दौड़ाई और वो भी बीच वाली सीट में आकर बैठ गई।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मेरा ध्यान उस पर ही था, उसने काले रंग की साड़ी पहनी थी, साड़ी में वो क़यामत लग रही थी। उसने सिर्फ एक नज़र मेरी ओर देखा और फिर नज़र हटा ली। एक तो सर्दी का मौसम, बस में अँधेरा और एकांत ! मैंने सोचा कि जो अगर यह मौका दे तो बस में ही इसे जमकर चोद डालूँ।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]थोड़ी देर में टिकट देकर कंडक्टर चला गया, आगे वाले जो दो चार लोग थे वो सो चुके थे। अब बस की सारी बत्तियाँ बुझ चुकी थी। मेरा ध्यान उस पर ही था। वो थोड़ी झुककर बैठी थी तो उसके पेट का भाग और चुचियाँ दिख रही थी। और यहाँ मेरा हाल बुरा हो चुका था। उसने एक दो बार मुड़कर देखा तो मेरा ध्यान उस पर ही था तो वो थोड़ा मुस्कुराई। मेरे तो जैसे नसीब ही खुल पड़े, मैं खुश हो गया, मैं भी मुस्कुरा दिया।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उसने कहा- मैं तुम्हारे बगल में बैठ जाऊँ? मुझे नींद नहीं आ रही ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मुझे क्या एतराज़ था, मैंने तो फट से हाँ कह दी। वो मेरे बाजु में ही बैठी थी, सीट छोटी थी इसलिए हमारे जिस्म एक-दूसरे से छू रहे थे।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने बात की शुरुआत की तो पता चला कि उसके किसी रिश्तेदार की तबियत ख़राब होने की वजह से उसे तुंरत आगरा के पास के किसी गांव में जाना पड़ रहा है। वो शादीशुदा थी और उसकी उमर 32 साल थी। उसके बच्चे के स्कूल होने की वजह से उन्हें साथ नहीं लाई थी और उसके पति को छुट्टी नहीं मिली थी।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]ठण्ड और बढ़ गई थी उसके पास एक ही शॉल थी और मेरे पास भी हम दोनों ही कांप रहे थे। मैंने उसे कहा- मेरी शॉल ले लो, तुम कांप रही हो ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]तो उसने कहा- तुम भी तो कांप रहे हो और ठण्ड तो और बढ़ने वाली है ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- हाँ, सही बात है, मगर तो क्या किया जाये?[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]वो मुस्करा दी, मैं समझ गया ! उसके मुस्कुराने का तरीका उसकी ओर से खुला न्योता था मेरे लिए और मैं उसे छोड़ता?[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उसने अपना मोबाइल निकाला, उसमे एक हॉट क्लिप थी, वो प्ले कर दी। मैं तो चौंक गया, एकदम बिंदास थी वो औरत ! वो क्लिप एकदम हॉट थी, दो मर्द मिलकर एक लड़की को चोद रहे थे।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उसने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया और बोली- इतनी सर्दी में भी कितना गरम है ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- इसे मुँह में लो तो तुम्हारी सारी ठण्ड दूर हो जाएगी।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]हम दोनों ने शॉल ओढ़ ली और पीछे वाली सीट पर चले गए। वो मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी। मैं एकदम उत्तेजित हो गया था और उसके बड़े बड़े स्तनों को दबा रहा था।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]वो जोर जोर से मेरा लंड चूस रही थी और उसने मेरा पानी निकाल दिया और पूरा पी गई और कहने लगी- अब मुझे गर्मी हो रही है, इतना गर्म पानी था तुम्हारा ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- मगर मुझे अब भी ठण्ड लग रही है ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]कहकर उसे सीट पर लेटा कर उसकी साड़ी ऊपर कर दी। बस की पिछली सीट थी और बस उछल रही थी तो मैंने ज्यादा देर न करते हुए उसकी चूत चाटनी शुरु की और बाद में उसकी चूत में जोर से लंड घुसा दिया और उसके मुँह में रुमाल, ताकि आवाज़ न आये। मगर वैसे कोई चिंता नहीं थी किसी को पता नहीं था कि हम पीछे थे।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने धक्के लगाना चालू किया, वो आहें भर रही थी और पूरा साथ दे रही थी। थोड़ी देर में मैं झड़ गया और पानी उसके अंदर चला गया। इतनी गर्मी में हम दोनों पसीने से भीगे हुए थे। थोड़ी देर हम शांत रहे, फिर हमने कपड़े ठीक किये और बस का ब्रेक लगा, चाय नाश्ते के लिए बस रुकी। हम ने नाश्ता किया और फिर आगरा तक मौज करते चले गए।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उसने अपना मोबाइल नम्बर मुझे दिया और कहा- आगरा में मुझे फ़ोन करना ! मैं तुम्हें मिलने आउंगी।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मगर मुझे आगरा में समय नहीं मिला तो उसे फ़ोन नहीं किया।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]आज भी उसका फ़ोन आता है और हम सर्दियों की वो गरम रात को याद कर लेते हैं।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]यह था मेरा यादगार अनुभव ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]ऐसे कई अनुभव मुझे हुए हैं जो आगे मैं आपको बताऊँगा।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]पहले इंतज़ार है आपकी राय का ![/font]
 
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