[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]नमस्ते दोस्तों। मेरा नाम माही है। दोस्तों मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। मेरी ज़िन्दगी में तरह-तरह की लड़कियाँ आतीं हैं, या फिर यूँ कहिए किशोरियों से लेकर अधेड़ तक, हर कोई। ऐसा ही एक वाक़या आप लोगों को बता रहा हूँ।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]आप सोच रहे होंगे कि मेरी ज़िन्दगी में इतनी लड़कियाँ कहाँ से आतीं हैं। दोस्तों मैं एक प्लेब्वॉय हूँ, यानि कि पुरुष-वेश्या।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]एक बार दिन के समय मुझे एक ४५ वर्षीय स्त्री ने अपने यहाँ बुलाया। मैं उसके घर चला गया। वहाँ जाकर मैंने उससे बात की। उसने मुझे २ घंटों के लिए तय किया। वह ४५ साल की थी, लेकिन देखने में बद़न से काफी अच्छी लगती थी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]पहले वह मुझे अपने बेडरूम में ले गई, वहाँ जाकर उसने अपने-आप को मेरे ऊपर छोड़ दिया। मैंने उसे अपनी बाँहों में ले लिया। मैडम ने जीन्स-टॉप पहन रखी थी। मैंने उसे बिस्तर पर बिठाया और उसकी टॉप उतार दी। उसकी मोटी-मोटी हिलती हुई चूचियाँ बाहर आ गईं। मैंने उन विशाल चूचियों को दबाना चालू कर दिया। जैसे-जैसे मैं चूचियों को दबाता जाता, वह बिस्तर पर गिरती जाती।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने उसकी जीन्स का बटन खोल दिया और सरका कर उसकी चिकनी और सेक्सी पैरों तक उतार दिया। उसकी पैन्टी के भीतर से उसकी उभरी सी चूत साफ दिखाई दे रही थी। पैन्टी चूत के पानी से गीली हो चुकी थी। मैंने उसके कपड़े उसके तन से अलग कर दिए। उसने फटाक से मेरी पैन्ट की ज़िप खोल कर अपना हाथ मेरे लण्ड तक पहुँचा दिया। मैंने अपने भी कपड़े उतार दिए और उसने मुझे मुख-मैथुन करने को कहा।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]हमने 69 की मुद्रा बनाई और उसकी चूत को चाटने लगा। उसने भी मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया। मैंने उसकी चूत को इस कद़र चूसा कि उसकी सिसकियाँ निकल गईं। अब वह जल्दी ही अपनी चूत का पानी छोड़ने वाली थी। मैंने एक कॉण्डोम अपने लण्ड पर लगाया, उसे सीधा करके उसे अपने नीचे ले लिया और उसकी चूत में अपना लण्ड डाल दिया।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]चूत थोड़ी सी ढीली थी लेकिन वह पूरा साथ दे रही थी। वैसे भी कुछ ही झटके लगे और उसकी चूत से पानी बाहर आ गया। वह मुझे कसके पकड़े हुई थी। मैंने भी थोड़ी ही देर में अपना काम पूरा कर लिया।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैं थोड़ी देर तक उसकी चूत को सहलाता रहा, उसके बाद वह मुझे अपने साथ अपने बाथरूम में ले गई। हम दोनों घर में अकेले ही थे। वह वहाँ जाकर बाथ-टब में चली गई और मुझे भी आने का आमंत्रण दिया। काफी देर तक मैं उसकी चूत को सहलाता रहा। वह फिर से सिसकियाँ भरने लगी। उसने कहा कि इस बार पानी के भीतर ही सेक्स करेंगे। मैंने कॉण्डोम लगाया और पानी के भीतर ही उसकी चूत में अपना लण्ड घुसा दिया। अभी हम दोनों का चूत-लण्ड का खेल शुरू ही हुआ था कि दरवाज़े की घंटी बजी। थोड़ी देर के लिए वह सोच में पड़ गई कि आख़िर कौन आ गया। उसने सोचा कि दरवाज़ा नहीं खोलूँगी, जो भी होगा वापस लौट जाएगा। लेकिन दरवाज़ा खुल गया, और जो अन्दर आई, वो थी उसकी बेटी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]वह इधर-उधर देखती हुई सीधी हमारे पास आई। वह हमे इस हालत में देख चौंक पड़ी। वह बोली, मम्मी ये सब क्या है? तो वह बोली, बेटा हम तो बस मज़े कर रहे हैं। अगर तुम्हें पसन्द हो तो तुम भी कर सकती हो, तुम भी इसका मज़ा ले सकती हो। उसकी बातें सुनकर मैं तो हैरान ही रह गया। उसकी लड़की ने कहा, "मम्मी, ये सेक्सी है कौन?"[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]"बेटी, ये माही है, एक प्लेब्वॉय।" - माँ ने कहा।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]"यानि मज़ा का मज़ा और राज़ भी छुपा का छुपा।" बेटी बोली।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]तब तक मेरे दो घण्टे पूरे हो चुके थे। मैंने जाने की बात कही, कि तभी उसकी बेटी सिमी (काल्पनिक नाम) ने मुझे जाने से रोक दिया और बोली, "कोई बात नहीं सेक्सी ! दोगुने पैसे ले लेना और अगर ख़िदमत अच्छी की तो टिप भी मिलेगी।"[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]अब तक सिमी भी टब में ही आ गई थी। सिमी की मम्मी ने मेरा एक हाथ अपनी चूत पर रखा और दूसरा हाथ रिमी की मस्त प्यारी-प्यारी चूत पर रख दिया। दोनों ने मिलकर मेरे लण्ड को पकड़ लिया। सिमी की मम्मी एक बार अपनी चूत चुदवा ही चुकी थी, इसलिए उसने सिमी से कहा, "जाओ, बेडरूम में जाओ, और खुलकर लण्ड के मज़े लो। सिमी ने कहा, "नहीं मॉम, मैं आप के सामने ही चूत मरवाना चाहती हूँ। सिमी की चूत चुदने के लिए तैयार हो चुकी थी। मैंने उसे अपने लण्ड पर बिठाया और एक झटके में लण्ड उसकी चूत में पहुँचा दिया। सिमी की मॉम को डर था कि सिमी को खून निकलेगा, लेकिन सिमी की चूत से खून नहीं निकला। सिमी की मॉम ने पूछा, तो सिमी ने कहा, "मॉम क्या तुम्हारी चूत से अभी खून निकला था?"[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]"नहीं।" - मॉम ने कहा।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]"तो फिर मेरी से भी नहीं निकला।"[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उसकी मॉम समझ गई कि सिमी ने पहले भी चूत चुदवाई हुई है। अब तक मैं सिमी को कस कर चोदने लगा था और सिमी भी पूरी तरह से चुदाई का मज़ा ले रही थी। थोड़ी देर में ही सिमी झड़ने वाली थी, उसने मुझे कस कर पकड़ा और ज़ोरों से सिसकियाँ भरने लगी। झड़ते-झड़ते सिमी ने कम से कम पूरा एक मिनट का समय लगाया। अब मैं भी सिमी की चूत में ख़ुद को झड़ने से रोक नहीं पाया और उसकी प्यारी सी कसी हुई चूत में अपना स्खलन पूरा किया।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]वह चुदाई मेरे कॅरियर की सबसे अहम चुदाई थी, जिसमें एक ही जगह माँ बेटी एक ही बार चुदी थी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]ख़ैर उस दिन के बाद तो अक्सर वह मुझे बुलाती रहती थी, और मज़े की बात तो यह कि दोनों एक ही साथ।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]आप सोच रहे होंगे कि मेरी ज़िन्दगी में इतनी लड़कियाँ कहाँ से आतीं हैं। दोस्तों मैं एक प्लेब्वॉय हूँ, यानि कि पुरुष-वेश्या।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]एक बार दिन के समय मुझे एक ४५ वर्षीय स्त्री ने अपने यहाँ बुलाया। मैं उसके घर चला गया। वहाँ जाकर मैंने उससे बात की। उसने मुझे २ घंटों के लिए तय किया। वह ४५ साल की थी, लेकिन देखने में बद़न से काफी अच्छी लगती थी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]पहले वह मुझे अपने बेडरूम में ले गई, वहाँ जाकर उसने अपने-आप को मेरे ऊपर छोड़ दिया। मैंने उसे अपनी बाँहों में ले लिया। मैडम ने जीन्स-टॉप पहन रखी थी। मैंने उसे बिस्तर पर बिठाया और उसकी टॉप उतार दी। उसकी मोटी-मोटी हिलती हुई चूचियाँ बाहर आ गईं। मैंने उन विशाल चूचियों को दबाना चालू कर दिया। जैसे-जैसे मैं चूचियों को दबाता जाता, वह बिस्तर पर गिरती जाती।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने उसकी जीन्स का बटन खोल दिया और सरका कर उसकी चिकनी और सेक्सी पैरों तक उतार दिया। उसकी पैन्टी के भीतर से उसकी उभरी सी चूत साफ दिखाई दे रही थी। पैन्टी चूत के पानी से गीली हो चुकी थी। मैंने उसके कपड़े उसके तन से अलग कर दिए। उसने फटाक से मेरी पैन्ट की ज़िप खोल कर अपना हाथ मेरे लण्ड तक पहुँचा दिया। मैंने अपने भी कपड़े उतार दिए और उसने मुझे मुख-मैथुन करने को कहा।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]हमने 69 की मुद्रा बनाई और उसकी चूत को चाटने लगा। उसने भी मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया। मैंने उसकी चूत को इस कद़र चूसा कि उसकी सिसकियाँ निकल गईं। अब वह जल्दी ही अपनी चूत का पानी छोड़ने वाली थी। मैंने एक कॉण्डोम अपने लण्ड पर लगाया, उसे सीधा करके उसे अपने नीचे ले लिया और उसकी चूत में अपना लण्ड डाल दिया।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]चूत थोड़ी सी ढीली थी लेकिन वह पूरा साथ दे रही थी। वैसे भी कुछ ही झटके लगे और उसकी चूत से पानी बाहर आ गया। वह मुझे कसके पकड़े हुई थी। मैंने भी थोड़ी ही देर में अपना काम पूरा कर लिया।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैं थोड़ी देर तक उसकी चूत को सहलाता रहा, उसके बाद वह मुझे अपने साथ अपने बाथरूम में ले गई। हम दोनों घर में अकेले ही थे। वह वहाँ जाकर बाथ-टब में चली गई और मुझे भी आने का आमंत्रण दिया। काफी देर तक मैं उसकी चूत को सहलाता रहा। वह फिर से सिसकियाँ भरने लगी। उसने कहा कि इस बार पानी के भीतर ही सेक्स करेंगे। मैंने कॉण्डोम लगाया और पानी के भीतर ही उसकी चूत में अपना लण्ड घुसा दिया। अभी हम दोनों का चूत-लण्ड का खेल शुरू ही हुआ था कि दरवाज़े की घंटी बजी। थोड़ी देर के लिए वह सोच में पड़ गई कि आख़िर कौन आ गया। उसने सोचा कि दरवाज़ा नहीं खोलूँगी, जो भी होगा वापस लौट जाएगा। लेकिन दरवाज़ा खुल गया, और जो अन्दर आई, वो थी उसकी बेटी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]वह इधर-उधर देखती हुई सीधी हमारे पास आई। वह हमे इस हालत में देख चौंक पड़ी। वह बोली, मम्मी ये सब क्या है? तो वह बोली, बेटा हम तो बस मज़े कर रहे हैं। अगर तुम्हें पसन्द हो तो तुम भी कर सकती हो, तुम भी इसका मज़ा ले सकती हो। उसकी बातें सुनकर मैं तो हैरान ही रह गया। उसकी लड़की ने कहा, "मम्मी, ये सेक्सी है कौन?"[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]"बेटी, ये माही है, एक प्लेब्वॉय।" - माँ ने कहा।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]"यानि मज़ा का मज़ा और राज़ भी छुपा का छुपा।" बेटी बोली।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]तब तक मेरे दो घण्टे पूरे हो चुके थे। मैंने जाने की बात कही, कि तभी उसकी बेटी सिमी (काल्पनिक नाम) ने मुझे जाने से रोक दिया और बोली, "कोई बात नहीं सेक्सी ! दोगुने पैसे ले लेना और अगर ख़िदमत अच्छी की तो टिप भी मिलेगी।"[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]अब तक सिमी भी टब में ही आ गई थी। सिमी की मम्मी ने मेरा एक हाथ अपनी चूत पर रखा और दूसरा हाथ रिमी की मस्त प्यारी-प्यारी चूत पर रख दिया। दोनों ने मिलकर मेरे लण्ड को पकड़ लिया। सिमी की मम्मी एक बार अपनी चूत चुदवा ही चुकी थी, इसलिए उसने सिमी से कहा, "जाओ, बेडरूम में जाओ, और खुलकर लण्ड के मज़े लो। सिमी ने कहा, "नहीं मॉम, मैं आप के सामने ही चूत मरवाना चाहती हूँ। सिमी की चूत चुदने के लिए तैयार हो चुकी थी। मैंने उसे अपने लण्ड पर बिठाया और एक झटके में लण्ड उसकी चूत में पहुँचा दिया। सिमी की मॉम को डर था कि सिमी को खून निकलेगा, लेकिन सिमी की चूत से खून नहीं निकला। सिमी की मॉम ने पूछा, तो सिमी ने कहा, "मॉम क्या तुम्हारी चूत से अभी खून निकला था?"[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]"नहीं।" - मॉम ने कहा।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]"तो फिर मेरी से भी नहीं निकला।"[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उसकी मॉम समझ गई कि सिमी ने पहले भी चूत चुदवाई हुई है। अब तक मैं सिमी को कस कर चोदने लगा था और सिमी भी पूरी तरह से चुदाई का मज़ा ले रही थी। थोड़ी देर में ही सिमी झड़ने वाली थी, उसने मुझे कस कर पकड़ा और ज़ोरों से सिसकियाँ भरने लगी। झड़ते-झड़ते सिमी ने कम से कम पूरा एक मिनट का समय लगाया। अब मैं भी सिमी की चूत में ख़ुद को झड़ने से रोक नहीं पाया और उसकी प्यारी सी कसी हुई चूत में अपना स्खलन पूरा किया।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]वह चुदाई मेरे कॅरियर की सबसे अहम चुदाई थी, जिसमें एक ही जगह माँ बेटी एक ही बार चुदी थी।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]ख़ैर उस दिन के बाद तो अक्सर वह मुझे बुलाती रहती थी, और मज़े की बात तो यह कि दोनों एक ही साथ।[/font]